Sunday, September 8, 2013

एक तमाशा मेरे आगे ...........



ये वाला कितने का है ?
बारह सौ का

ये कितने का ?
एक हज़ार का .........

और ये छोटा वाला कितने का है ?
आठ सौ का है बहन जी,  चलो आप साढ़े सात सौ दे देना ...

साढ़े सात सौ ? इत्ते से गणपति के ? 
इत्ता सा है लेकिन  रूप कितना प्यारा है .....

रूप को मार गोली ...दो सौ में देना है तो दे ...........
नहीं, नहीं,  आप और कहीं से ले ले लीजिये

हाँ तो ले लेंगे ...बहुत पड़े  हैं बाज़ार में ........जिनको सौ दो सौ  में भी कोई लेने वाला नहीं आता ,,,,ये बित्ते भर के गणेश लिए बैठा है  और भाव ऐसा बता रहा है जैसे मूर्तियाँ नहीं, असली गणेश बेच रहा हो .........हुंह ( टप टप टप ....)

_________यह दृश्य देख कर मेरा मन वितृष्णा से भर गया ..........वो महिला गणपति  लेने नहीं, बल्कि  खरीदने आई थी .  ज़रा सोचिये .............क्या यह ठीक है कि  हम उसका मोलभाव करें  जिसका  कोई मोल हो ही नहीं सकता .

मेरे विचार में  गणेशजी की प्रतिमा बेचने वालों को  हर प्रतिमा के  गले में  उसके price का tag लटका देना चाहिए  ताकि  की मोल भाव न करे  और  श्रद्धा पूर्वक, हाथ जोड़ कर, विनम्रभाव से  अपनी पसंद की प्रतिमा  उठा ले और  घर ले जाए ...

देवी देवताओं  का मोलभाव  नहीं होना चाहिए

जय हिन्द !



Friday, September 6, 2013

हिन्दी कवियों और उर्दू शायरों का संगम "काव्य-कुम्भ" का पहला भाग तैयार

 टीकम म्युज़िक बैंक  प्रस्तुत हिन्दी कवियों और उर्दू शायरों का संगम  "काव्य-कुम्भ"

हिन्दी हास्यकवि अलबेला खत्री द्वारा स्थापित टीकम म्युज़िक बैंक  के  पहले  ऑडियो एल्बम " काव्य-कुम्भ " में  अनवर फारुकी, कलाम आज़र , महबूब आलम,  शाहजहाँ शाद,  पूनम गुजरानी, संगीता अग्रवाल, अज्ञानी कवि, चंद्रशेखर प्रसाद व पारस सोनी को शामिल किया गया है .

कविता के मंच पर मौलिक कविता  के अभाव को देखते हुए  कुछ पुराने कवियों को सम्मान देने और कुछ नितान्त नए रचनाकारों को  प्रोत्साहन देने के लिए निर्मित काव्य-कुम्भ  का पहला भाग बन कर तैयार है और जल्द ही इसका लोकार्पण समारोह  होगा .




जय हिन्द !

Friday, August 23, 2013

surat ke mukesh khordia bhi kamal karte hain


राय देने में अपने लोगों का कोई जवाब नहीं .........लेकिन  कई बार  राय देने वाला  जब अपनी ही बात पर अमल करता नहीं दिखता तो हँसी छूट जाती है . एक किस्सा कल हुआ . मैं अपने परममित्र  मुकेश खोरडिया यानी  युवा समाजसेवी  मुकेश अग्रवाल के साथ उनके कार्यालय में बैठा था . उनके कुछ और मित्र भी थे .  बात चली  खानपान व आहार-विहार की तो मुकेश भाई ने  एक घंटा तक  मुझे लेक्चर दिया कि  समोसे मत खाया करो, कचोरी मत खाया करो, चाय कम पिया करो, बीड़ी  बिलकुल मत पिया करो इत्यादि .

ऐसा उन्होंने इसलिए कहा कि मैं जब भी जाता हूँ उनके यहाँ तो  चाय और समोसे  ज़रूर  मंगवाता हूँ .  मुकेश भाई ने अंकुरित मूंग और चना  रोज़ सुबह खाने के कई लाभ बताये और  फिर  एक टिफिन खोला  जिसमे  अंकुरित मूंग, चना  के अलावा  खजूर, अंगूर, पपीता  इत्यादि के कई डिब्बे थे . मैंने और सी पी  ने खाना शुरू किया लेकिन मुकेश जी ने नहीं खाए . मैंने कहा - खाओ आप भी  ?   इस बात पर वे ज़ोरों से हँसे  और  सुरती स्टाइल में बड़ी वाली गाली दे के बोले -  आज मैंने समोसे और कचोरी खा लिए ....हा हा हा
my best friend mukesh khordia with atul tulsyan ji

Saturday, August 17, 2013

the poem on rakshabandhan रक्षाबन्धन 2013 पर हास्यकवि अलबेला खत्री के दोहे

the poem on rakshabandhan  रक्षाबन्धन 2013  पर  हास्यकवि अलबेला खत्री के  दोहे

the poem on rakshabandhan  रक्षाबन्धन 2013  पर  हास्यकवि अलबेला खत्री के  दोहे

the poem on rakshabandhan  रक्षाबन्धन 2013  पर  हास्यकवि अलबेला खत्री के  दोहे

the poem on rakshabandhan  रक्षाबन्धन 2013  पर  हास्यकवि अलबेला खत्री के  दोहे

Friday, August 16, 2013

श्री नरेन्द्र भाई मोदी से हास्यकवि अलबेला खत्री की विनम्र अपील




श्री नरेन्द्र भाई मोदी से हास्यकवि अलबेला खत्री की विनम्र अपील


आदरणीय श्री नरेन्द्र भाई मोदी,
माननीय मुख्यमंत्री, गुजरात शासन

सन्दर्भ :  लोकसभा चुनाव 2014 में गठबन्धन मुक्त भा.ज.पा. के लिए निवेदन

श्रद्धेय मोदीजी,
जय हिन्द !
भारत के सुखद भविष्य  तथा  गुजरात की तर्ज़ पर समूचे भारत के अप्रतिम  उत्थान के लिए  बहुत  ज़रूरी है कि  इस बार केवल भारतीय जनता पार्टी की गठबन्धन  मुक्त सरकार बने . किसी भी दूसरे दल से इस बार चुनावी गठबन्धन न किया जाये . क्योंकि  इस बार समूचा भारत ही नहीं बल्कि विश्व भर में फैला भारतीय समाज आपके साथ है और आपको दिल्ली के सिंहासन पर देखना चाहता है . यह एक लोक लहर है  जो पूरी तरह आपके लिए है, भारतीय जनता पार्टी के लिए है.  इस लोक लहर का लाभ लेना ही श्रेयस्कर होगा .

भगवान न करे,  यदि अकेले दम पर  आपकी सरकार न बन पाये तो भी  विपक्ष के नेता तो आप ही रहेंगे और  एक मजबूत विपक्ष  किसी भी देश की लोकतान्त्रिक व्यवस्था का  प्राण होता है .

ये देश अब नहीं चाहता कि माननीय अटल बिहारी वाजपेयी वाली स्थिति दोहराई जाये . केवल चन्द  सीटों का लाभ लेने के लिए  ऐसे  अवसरवादी क्षेत्रीय दलों को साथ हरगिज़ न लिया जाये जिन्हें बाद में सम्हालना भारी पड़े .

आदरणीय,
आपके ऊर्जस्वित नेतृत्व में  गुजरात ने चन्द अरसे में ही इतनी तरक्की इसीलिए प्राप्त कर ली  क्योंकि  यहाँ आपकी सरकार गठबन्धन मुक्त है . मैं इस योग्य नहीं कि  आपको राजनीति  सिखा सकूँ परन्तु देश का एक नागरिक होने के नाते देश के हित में मुझे जो ज़रूरी लगा वह आपके समक्ष विनम्रता पूर्वक  निवेदन कर दिया है .

आपके लिए आत्मिक शुभकामनाओं सहित



- अलबेला खत्री, सूरत

apeel to narendra  bhai modi by albela khatri


Saturday, August 10, 2013

वो बोली - चुपचाप पी लो जैसे अडवानी जी अपने आंसू पी रहे हैं

आज सुबह सुबह जैसे मैंने प्याला हाथ में लिया तो चाय का रंग कुछ फीका सा लगा . मैंने गुड्डू की माँ से पूछा - क्या बात है आज चाय पत्ती बहुत कम डाली है चाय में ..एक दम रंगहीन सी दिख रही है मनमोहन सिंह की तरह ... तो वो बोली - आज चाय नहीं मसाला दूध दिया है . चुपचाप पी लो जैसे अडवानी जी अपने आंसू पी रहे हैं .

मैंने कहा दूध क्यों, चाय क्यों नहीं ? वो बोली -आज आपका त्यौहार है दूध पीने वाला . मैंने पूछा मेरा कौन सा त्यौहार ? बोली नाग पंचमी ....हा हा हा

जय हिन्द !


Wednesday, August 7, 2013

ये फ़ालतू सामान है



शायरी की डायरी में मोतियों की खान है
डायरी जिसकी भरी है, वो बड़ा धनवान है

शब्द ब्रह्म, कवि है उपासक, शायरी भगवान है
लेखनी यदि है पुरोहित,  मन्त्र स्वाभिमान है

गीत गीता की तरह बिकने लगे हैं देश में
यह हमारे वक्त की सबसे सही पहचान है

मुझसे ज़्यादा खानदानी कौन है इस मुल्क में
मेरे पुरखों में कबीरा, सूर औ रसखान है

लोग गर पूछें तो मैं उनको बताऊँगा यही
शब्द की सेवा में मेरा रात दिन अभियान है

जिस गली में नफ़रतों का बोलबाला है प्रिये
उस गली में मैंने खोली प्यार की दूकान है

मेरी तो बस एक ही अलबेला विनती आप से
छोड़ दो अभिमान को ये फ़ालतू सामान है

-अलबेला खत्री 



Sunday, July 21, 2013

गुरू की महिमा अपरम्पार है, गुरू प्राणी नहीं है, प्राणाधार है





वो तन में भी समाया है, वो मन में भी समाया है


जिधर देखूं उधर जलवा, उसी का ही नुमाया है


मेरा मुझमे नहीं कुछ भी, जो कुछ भी है उसी का है


मिटाया था कभी जिसने, उसी ने फिर बनाया है




उसी ने फिर बनाया है, बनाना काम है उसका


बनाने में कुशल है वो, बड़ा ही नाम है उसका


मेरी हस्ती उसी से है, मेरी मस्ती उसी से है


मेरे भीतर की बस्ती में मुक़द्दस धाम है उसका




मुक़द्दस धाम है उसका, अलौकिक धाम है उसका


दिव्य आभा से आलोकित, रूप अभिराम है उसका


ईसा उसका, ख़ुदा उसका, गुरू उसका, प्रभु उसका


नाम उसका नहीं कोई, फिर भी हर नाम है उसका




फिर भी हर नाम है उसका तो नामों में भटकना क्यों ?


शिखर जब हों मयस्सर तो पड़ावों पर अटकना क्यों ?


लटकना क्यों ख़ुदी के दार पर, बच कर निकल जाएँ


फिसल कर कांच की तरह बिला वजह चटकना क्यों ?




बिलावजह चटकना क्यों, है हासिल क्या बिखरने में


मस्सर्रत ज़िन्दगानी की चमकने में - निखरने में


हज़ारों हाथ से करता है रखवाली वो पग - पग पर


मगर हम हैं लगे हर दम, उसी रब को अखरने में




उसी रब को अखरने में गुज़ारी है हयात अपनी


सजाई है यहाँ जिसने ये सारी क़ायनात अपनी


गये - गुज़रे हैं हम कितने, उसी को भूल बैठे हैं


जो करता है निगहबानी, यहाँ दिन और रात अपनी



शत शत नमन गुरूदेव


-अलबेला खत्री 

 गुरू की महिमा अपरम्पार है, गुरू प्राणी नहीं है, प्राणाधार है

Sunday, July 7, 2013

खुदगर्ज़ी में इन्सां ने इन्सां का ख़ून बहाया, इसीलिए हे पवनपुत्र ! मैं तेरी शरण में आया


क्या मुस्लिम,क्या सिक्ख, इसाई, क्या वैष्णव,क्या जैन

सब के सब हैरान यहाँ पर, सब के सब बेचैन


खादी वाले जनता का धन लूट रहे दिन-रैन


हाय ! लुटेरों के शासन में, भीगे सब के नैन


क्या होगा कल हाल देश का, सोच सोच घबराया


इसीलिए हे पवनपुत्र ! मैं तेरी शरण में आया


प्यारे अन्जनी के लाल !


हमें संकट से निकाल !




धर्म के ठेकेदार हमें टुकड़ों में बाँट रहे हैं


छंटे छंटाये लोग आज लोगों को छाँट रहे हैं


करुणा की काया को दीमक बन के चाट रहे हैं


मानवता के कल्पवृक्ष को जड़ से काट रहे हैं


खुदगर्ज़ी में इन्सां ने इन्सां का ख़ून बहाया


इसीलिए हे पवनपुत्र ! मैं तेरी शरण में आया


प्यारे अन्जनी के लाल !


हमें संकट से निकाल !



लालच में असली डॉक्टर भी नकली दवा चलाते


हलवाई नकली मावा से नकली माल बनाते


व्यापारी भी नकली मिर्च-मसाले हमें खिलाते


दूध-दही, फल-फ्रूट, साग-सब्ज़ी भी नकली आते


गद्दारों ने बैंकों तक में नकली नोट चलाया


इसीलिए हे पवनपुत्र ! मैं तेरी शरण में आया


प्यारे अन्जनी के लाल !


हमें संकट से निकाल !



जय हिन्द


-अलबेला खत्री


Wednesday, July 3, 2013

कौन कहता है कांग्रेसियों के कीड़े पड़ेंगे ? अलबेला खत्री कहता है नहीं पड़ेंगे


कौन कहता है कांग्रेसियों के कीड़े पड़ेंगे ?

मैं कहता हूँ कि  नहीं पड़ेंगे . बिलकुल नहीं पड़ेंगे .


किसी भी प्रजाति का एक भी कीड़ा 

किसी भी कांग्रेसी के किसी भी अंग में नहीं पड़ेगा .   

भरोसा न हो तो एक बार स्वयं कीड़ों  से ही पूछ कर देख लो . 

 वो  मना  कर देंगे . 

आखिर उनका भी कोई स्टैण्डर्ड है !   

jai hind !







 

Thursday, June 13, 2013

aaj 14 june world blood donation day hai, aao blood donation ke liye chalen

आज 14 जून अर्थात विश्व रक्तदान दिवस है 

आओ साथियो 14  जून का यह मानवीय त्यौहार मनाएं, 


रक्तदान करके किसी के प्राण बचाएं