ये वाला कितने का है ?
बारह सौ का
ये कितने का ?
एक हज़ार का .........
और ये छोटा वाला कितने का है ?
आठ सौ का है बहन जी, चलो आप साढ़े सात सौ दे देना ...
साढ़े सात सौ ? इत्ते से गणपति के ?
इत्ता सा है लेकिन रूप कितना प्यारा है .....
रूप को मार गोली ...दो सौ में देना है तो दे ...........
नहीं, नहीं, आप और कहीं से ले ले लीजिये
हाँ तो ले लेंगे ...बहुत पड़े हैं बाज़ार में ........जिनको सौ दो सौ में भी कोई लेने वाला नहीं आता ,,,,ये बित्ते भर के गणेश लिए बैठा है और भाव ऐसा बता रहा है जैसे मूर्तियाँ नहीं, असली गणेश बेच रहा हो .........हुंह ( टप टप टप ....)
_________यह दृश्य देख कर मेरा मन वितृष्णा से भर गया ..........वो महिला गणपति लेने नहीं, बल्कि खरीदने आई थी . ज़रा सोचिये .............क्या यह ठीक है कि हम उसका मोलभाव करें जिसका कोई मोल हो ही नहीं सकता .
मेरे विचार में गणेशजी की प्रतिमा बेचने वालों को हर प्रतिमा के गले में उसके price का tag लटका देना चाहिए ताकि की मोल भाव न करे और श्रद्धा पूर्वक, हाथ जोड़ कर, विनम्रभाव से अपनी पसंद की प्रतिमा उठा ले और घर ले जाए ...
देवी देवताओं का मोलभाव नहीं होना चाहिए
जय हिन्द !