Wednesday, August 7, 2013

ये फ़ालतू सामान है



शायरी की डायरी में मोतियों की खान है
डायरी जिसकी भरी है, वो बड़ा धनवान है

शब्द ब्रह्म, कवि है उपासक, शायरी भगवान है
लेखनी यदि है पुरोहित,  मन्त्र स्वाभिमान है

गीत गीता की तरह बिकने लगे हैं देश में
यह हमारे वक्त की सबसे सही पहचान है

मुझसे ज़्यादा खानदानी कौन है इस मुल्क में
मेरे पुरखों में कबीरा, सूर औ रसखान है

लोग गर पूछें तो मैं उनको बताऊँगा यही
शब्द की सेवा में मेरा रात दिन अभियान है

जिस गली में नफ़रतों का बोलबाला है प्रिये
उस गली में मैंने खोली प्यार की दूकान है

मेरी तो बस एक ही अलबेला विनती आप से
छोड़ दो अभिमान को ये फ़ालतू सामान है

-अलबेला खत्री 



1 comment:

JAI MAA HINGULAJ
JAI DADHICHI
JAI HIND !