Friday, August 23, 2013

surat ke mukesh khordia bhi kamal karte hain


राय देने में अपने लोगों का कोई जवाब नहीं .........लेकिन  कई बार  राय देने वाला  जब अपनी ही बात पर अमल करता नहीं दिखता तो हँसी छूट जाती है . एक किस्सा कल हुआ . मैं अपने परममित्र  मुकेश खोरडिया यानी  युवा समाजसेवी  मुकेश अग्रवाल के साथ उनके कार्यालय में बैठा था . उनके कुछ और मित्र भी थे .  बात चली  खानपान व आहार-विहार की तो मुकेश भाई ने  एक घंटा तक  मुझे लेक्चर दिया कि  समोसे मत खाया करो, कचोरी मत खाया करो, चाय कम पिया करो, बीड़ी  बिलकुल मत पिया करो इत्यादि .

ऐसा उन्होंने इसलिए कहा कि मैं जब भी जाता हूँ उनके यहाँ तो  चाय और समोसे  ज़रूर  मंगवाता हूँ .  मुकेश भाई ने अंकुरित मूंग और चना  रोज़ सुबह खाने के कई लाभ बताये और  फिर  एक टिफिन खोला  जिसमे  अंकुरित मूंग, चना  के अलावा  खजूर, अंगूर, पपीता  इत्यादि के कई डिब्बे थे . मैंने और सी पी  ने खाना शुरू किया लेकिन मुकेश जी ने नहीं खाए . मैंने कहा - खाओ आप भी  ?   इस बात पर वे ज़ोरों से हँसे  और  सुरती स्टाइल में बड़ी वाली गाली दे के बोले -  आज मैंने समोसे और कचोरी खा लिए ....हा हा हा
my best friend mukesh khordia with atul tulsyan ji

Saturday, August 17, 2013

the poem on rakshabandhan रक्षाबन्धन 2013 पर हास्यकवि अलबेला खत्री के दोहे

the poem on rakshabandhan  रक्षाबन्धन 2013  पर  हास्यकवि अलबेला खत्री के  दोहे

the poem on rakshabandhan  रक्षाबन्धन 2013  पर  हास्यकवि अलबेला खत्री के  दोहे

the poem on rakshabandhan  रक्षाबन्धन 2013  पर  हास्यकवि अलबेला खत्री के  दोहे

the poem on rakshabandhan  रक्षाबन्धन 2013  पर  हास्यकवि अलबेला खत्री के  दोहे

Friday, August 16, 2013

श्री नरेन्द्र भाई मोदी से हास्यकवि अलबेला खत्री की विनम्र अपील




श्री नरेन्द्र भाई मोदी से हास्यकवि अलबेला खत्री की विनम्र अपील


आदरणीय श्री नरेन्द्र भाई मोदी,
माननीय मुख्यमंत्री, गुजरात शासन

सन्दर्भ :  लोकसभा चुनाव 2014 में गठबन्धन मुक्त भा.ज.पा. के लिए निवेदन

श्रद्धेय मोदीजी,
जय हिन्द !
भारत के सुखद भविष्य  तथा  गुजरात की तर्ज़ पर समूचे भारत के अप्रतिम  उत्थान के लिए  बहुत  ज़रूरी है कि  इस बार केवल भारतीय जनता पार्टी की गठबन्धन  मुक्त सरकार बने . किसी भी दूसरे दल से इस बार चुनावी गठबन्धन न किया जाये . क्योंकि  इस बार समूचा भारत ही नहीं बल्कि विश्व भर में फैला भारतीय समाज आपके साथ है और आपको दिल्ली के सिंहासन पर देखना चाहता है . यह एक लोक लहर है  जो पूरी तरह आपके लिए है, भारतीय जनता पार्टी के लिए है.  इस लोक लहर का लाभ लेना ही श्रेयस्कर होगा .

भगवान न करे,  यदि अकेले दम पर  आपकी सरकार न बन पाये तो भी  विपक्ष के नेता तो आप ही रहेंगे और  एक मजबूत विपक्ष  किसी भी देश की लोकतान्त्रिक व्यवस्था का  प्राण होता है .

ये देश अब नहीं चाहता कि माननीय अटल बिहारी वाजपेयी वाली स्थिति दोहराई जाये . केवल चन्द  सीटों का लाभ लेने के लिए  ऐसे  अवसरवादी क्षेत्रीय दलों को साथ हरगिज़ न लिया जाये जिन्हें बाद में सम्हालना भारी पड़े .

आदरणीय,
आपके ऊर्जस्वित नेतृत्व में  गुजरात ने चन्द अरसे में ही इतनी तरक्की इसीलिए प्राप्त कर ली  क्योंकि  यहाँ आपकी सरकार गठबन्धन मुक्त है . मैं इस योग्य नहीं कि  आपको राजनीति  सिखा सकूँ परन्तु देश का एक नागरिक होने के नाते देश के हित में मुझे जो ज़रूरी लगा वह आपके समक्ष विनम्रता पूर्वक  निवेदन कर दिया है .

आपके लिए आत्मिक शुभकामनाओं सहित



- अलबेला खत्री, सूरत

apeel to narendra  bhai modi by albela khatri


Saturday, August 10, 2013

वो बोली - चुपचाप पी लो जैसे अडवानी जी अपने आंसू पी रहे हैं

आज सुबह सुबह जैसे मैंने प्याला हाथ में लिया तो चाय का रंग कुछ फीका सा लगा . मैंने गुड्डू की माँ से पूछा - क्या बात है आज चाय पत्ती बहुत कम डाली है चाय में ..एक दम रंगहीन सी दिख रही है मनमोहन सिंह की तरह ... तो वो बोली - आज चाय नहीं मसाला दूध दिया है . चुपचाप पी लो जैसे अडवानी जी अपने आंसू पी रहे हैं .

मैंने कहा दूध क्यों, चाय क्यों नहीं ? वो बोली -आज आपका त्यौहार है दूध पीने वाला . मैंने पूछा मेरा कौन सा त्यौहार ? बोली नाग पंचमी ....हा हा हा

जय हिन्द !


Wednesday, August 7, 2013

ये फ़ालतू सामान है



शायरी की डायरी में मोतियों की खान है
डायरी जिसकी भरी है, वो बड़ा धनवान है

शब्द ब्रह्म, कवि है उपासक, शायरी भगवान है
लेखनी यदि है पुरोहित,  मन्त्र स्वाभिमान है

गीत गीता की तरह बिकने लगे हैं देश में
यह हमारे वक्त की सबसे सही पहचान है

मुझसे ज़्यादा खानदानी कौन है इस मुल्क में
मेरे पुरखों में कबीरा, सूर औ रसखान है

लोग गर पूछें तो मैं उनको बताऊँगा यही
शब्द की सेवा में मेरा रात दिन अभियान है

जिस गली में नफ़रतों का बोलबाला है प्रिये
उस गली में मैंने खोली प्यार की दूकान है

मेरी तो बस एक ही अलबेला विनती आप से
छोड़ दो अभिमान को ये फ़ालतू सामान है

-अलबेला खत्री